Shikha Arora

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लेखनी ओपन माइक प्रतियोगिता हेतु -07-May-2022 - पापा की झिड़की

पापा की झिड़की

पापा की झिड़की में भी प्यार,
छुपा हैं गुस्से में बड़ा ही दुलार।
मम्मी को झिड़कना सुहाता नहीं,
उनको वो प्यार नज़र आता नहीं।
राहों की भटकन से बचाती झिड़की,
बजती हमारी राहों में तभी सारंगी ।
झिड़की कभी लगती हमें भी बुरी,
पर चिंता की उनके है ये भी धुरी।
चिंता पापा को हमारी रहती सदा,
दिखावे की नहीं आती उन्हें अदा।
पहचान दुनिया की करवाना चाहते,
लोगों की नजरों से बचाना चाहते।
दुनिया की खूब पहचान है उनको,
हम पर बड़ा अभिमान हैं उनको।
नसीब वालों को मिलती हैं झिड़की,
खुल जाती है किस्मत की खिड़की।
पापा हमारे हैं हम सबकी शान,
हम बच्चों में बसती उनकी जान।।

#ओपन माइक प्रतियोगिता हेतु
(स्वरचित एवं मौलिक)
शिखा अरोरा (दिल्ली)

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12 Comments

Shnaya

09-May-2022 06:26 PM

Nice 👍🏼

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Swati chourasia

07-May-2022 08:20 PM

बहुत खूब 👌

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Anam ansari

07-May-2022 07:26 PM

👌👌👌

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